Thursday, January 9, 2020

संत तुलसी का अंतिम उद्बोधन


भक्तों के निवेदन पर,देह शांत होने के पहले,संत तुलसी ने अपने जीवन के अनुभव का सार, इस प्रकार व्यक्त किया:-


अलप तो अवधि तामें जीव बहु सोच पोच,

करिबे को बहुत है कहा कहा कीजिए । 


ग्रन्थन को अन्त नाहिं काव्य की कला अनन्त,

राग है रसीलो रस कहाँ कहाँ पीजिए । 


वेदन को पार न पुरानन को भेद बहु,

वाणी है अनेक चित कहाँ कहाँ दीजिए । 


लाखन में एक बात तुलसी बताए जात,

जन्म जो सुधारा चाहो रामनाम लीजिए ।

No comments:

Post a Comment

Thank you for taking the time out to read this blog. If you liked it, share and subscribe.