ईश्वर दर्शन
प्रश्न है, कि क्या कलयुग में ईश्वर दर्शन हो सकता है?
ईश्वर दर्शन युग निरपेक्ष है, कलियुग में भी ईश्वर दर्शन होता रहता है ।
मन जब भी अन्य सब व्रत्तियों से रहित होकर भगवत स्वरुप में स्थित होगा, ईश्वर दर्शन हो जाएगा।
संकल्पात्मक मन को वृतिशून्य करना कठिन है, किंतु असंभव नहीं।
इसके लिए 5 युक्तियां है - अध्यात्म विद्या का अभ्यास, मन के मूल की खोज, साधु संगम, वासना त्याग और प्राणायाम।
इनमें से वासना त्याग सबसे कठिन है।
परमब्रह्म को जीवन का लक्ष्य रखकर, शास्त्र और गुरुवचनों पर निष्ठा रखने से क्रमशः कर्तव्य परायणता, विवेक, वैराग्य और चित्त शुद्धि से अपना बोध हो जाता है।
आगे का विकास स्वतः होने लगता है और अपरोक्षानुभूति तथा प्रेमानंद प्राप्त होने पर, परम लक्ष्य की प्राप्ति भी हो जाती है।
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