Wednesday, March 27, 2019

समय चुकें पुनि का पछिताने - Election Special (2019)



कई राष्ट्र, जिनकी संस्कृति- सभ्यता हिंसात्मक व जंगली है ,उसको भी सुसज्जित और जिंदा रखने के लिए संगठित हो, कर्मठता से जुटे हुए हैं। भले ही वह सांसारिक दृष्टि से समृद्धशालीली और सुखी दिखाई देती हो,उसके अनुगामियों का अंत नर्क गामी होगा। आश्चर्य है कि भारत के हिंदू, जिनकी सभ्यता ,संस्कार और संस्कृति सर्वश्रेष्ठ आदर्श और गौरवशाली है तथा जीवों को परम लक्ष्य तक पहुंचाने में समर्थ है, उसको भूल कर स्वार्थ,सेकुलर व उदारता की मृगतृष्णा में फंसकर, दीन -हीन से दूसरों की ओर निहार रहे हैं ।


हिंदुओं जागो❗ दैनिक जीवन में हिंदुत्व अपनाकर, संगठित हो वोट दो। 



हिंदुओं कहां रहोगे ❓

महा ठग -गठबंधन की माया जाल में ना फंसे! इतिहासिक सत्य को ध्यान में रखकर,भारत की भारतीयता की रक्षा करनी है ।स्वधर्म पालन करते ,हुए संगठित होकर, राष्ट्र धर्म का पालन करना है। 




इतिहासिक सत्य:-


प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है, कि सुरक्षित चले आ रहे अपने सनातन जीवन दर्शन को, पहिचाने। वे नस्लें मिट गई, जिन्होंने अपनी सभ्यता, संस्कार व संस्कृति की रक्षा नहीं की। महात्माओं ने बड़े त्याग -तपस्या से इसकी रक्षा की है। सत्ता के मद में चूर सत्ताधारी उन पर क्रूरता से हमला करते रहते हैं। 












अविद्या माया ग्रस्त, पार्टियों और गठबंधनों से दूर रहना चाहिए ।राष्ट्रधर्म निर्वाह के लिए जिनके आचरण में विद्या माया है, उन्हें ही वोट देना कर्तव्य है ।आसुरी प्रकृति वाले लोगों को सत्ता सौंपकर सुखी नहीं रहा जा सकता।





भेड़ियों और जंगली कुत्तों के हिंसक संगठित झुंड, अपने से अधिक बलशाली शाकाहारी जीवो के समूह को तितर-बितर कर ही उनका शिकार करने में सफल होते हैं ।भारत- प्रेमियों को ₹72000 या 72 नूरो जैसे लोभों का तिरस्कार कर, संगठित रहते हुए अपने वोट देने के सही लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए






चोरहि चंदिनि राति न भावा ( मानस 2.11.7) स्वतंत्रता के बाद नेताओं ने धर्मनिरपेक्षता की ऐसी आंधी चलाई कि "ज्ञान दीपक" (मानस 7.117.9से7. 119तक) बुझ गया ।अंधेरे में लूटपाट होने लगी। जनता धर्म को अनावश्यक मांनने लगी। अधर्म बढ़ गया।" धर्मेण हीना पशुभि: समाना" "का प्रभाव दिखने लगा ।रिश्वतखोरी ,कामचोरी बढी। छोटी-छोटी कन्याओं के साथ बलात्कार कर उन्हें मार दिया जाने लगा। मांस मदिरा का प्रयोग बढ़ गया ।


धर्म ही सभ्य नागरिकों का निर्माण करता है ,यदि इस सत्य को स्वीकार कर राजनीतिज्ञ राष्ट्रहित में "सेक्युलर"(SECULAR) शब्द ना बोलने का व्रत लेलें तो राष्ट्र सही दिशा में चल पड़ेग ।इससे समाज में धर्म के प्रति उत्पन्न की गई हीनभावना, नैसर्गिक रूप से समाप्त हो जाएगी। और सदाचार के प्रति प्रेम बढ़ेगा ।जनता में स्वधर्म और राष्ट्रधर्म जागेगा ।और भ्रष्टाचार रूपी कैंसर सेल समाप्त होगा। इससे एकमात्र हानि होने की संभावना यह है ,कि जातीयता और सांप्रदायिकता पर आधारित कुछ व्यक्तित्व और कुछ संगठन मिट जाएंगे। सही जगह पर वोट देकर आप ,अपना और राष्ट्र का हित कर सकते हैं।


परिधावी नाम विक्रम संवत 2076 सबके लिए मंगलकारी हो ! लोकतंत्र में हर प्रकार के प्रलोभनों से उठकर ,योग्य और चरित्रवान व्यक्ति के नेता चुनने से, राष्ट्र और अपना भला हो सकता है। हिंदुओं को अस्तित्व की रक्षा के लिए भी संगठित होकर वोट देना है। आसुरी शक्तियां एकजुट हैं। सत्ता की शक्ति उनके हाथ चली गई तो हम सबका और श्रेष्ठ भारतीयता की दुर्दशा सुनिश्चित है। अच्छा हो शुभ संकल्प दोहरालें:-



लोकतंत्र में सत्ता की शक्ति नेताओं को ,हम सब ही सौंपते हैं। अतः उसे ही वोट देना है ,जिसमें विवेक हो और सुत ,वित्त तथा लोक की ईष्णा से वह मुक्त हो ।वर्तमान में राजनीतिक नैतिक पतन बहुत हो चुका है:-



भूतों के स्वभाव दो प्रकार- आसुरी व दैवी, होते हैं। गीता 16 .6।


जो राष्ट्र में आसुरी सत्ता स्थापित करना चाहते हैं, उनसे बचें ।पहले चरण में, दैवी प्रकति वालों को, हिंदुत्व कवच धारण कर, भारतीयता अर्थात अखंड भारत के बचे भाग की, रक्षा करना कर्तव्य है:-




गठबंधन का मकड़जाल:-  

जिन लोगों ने 15 वर्ष तक, उत्तर प्रदेश में --संप्रदायिकता, जातीयता, रिश्वतखोरी तथा गुंडागर्दी का नंग- नाच देखा है, उनमें यदि किंचित मात्र भी राष्ट्र प्रेम होगा, तो वे व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठे रहेंगे ,और ठगों के जाल में नहीं फंसेगे।


श्रीमद् भागवत में राजा बेन की कथा आती है। शासन व्यवस्था का प्रयोजन है, प्रजा के बीच अराजकता, उच्छृंखलता, अव्यवस्था तथा लूटपाट को रोकना। जब सत्ताधारी स्वयं इसी में रुचि ले रहे हो, तो राष्ट्र की क्या दशा रहेगी। भारत का लोकतंत्र इसी दशा को प्राप्त हो चुका है। 


विचार पूर्वक वोट डालें!







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