Saturday, March 9, 2019

राष्ट्रधर्म


2018 का सेकुलर भारत 



श्रीमद् भगवत गीता- जीव, जगत ,जगदीश्वर में पूर्ण सामंजस्य रखते हुए, मनुष्य को परम लक्ष्य प्राप्त कराने वाला, देश-काल-सीमा रहित शाश्वत ईश्वरी संविधान है।

श्री गीता जी की उपेक्षा कर मैकाले की कुटिल नीतियों को कार्यान्वित करने वाले, चार्वाक-सिद्धांत देहात्मभाव आधारित,दिशाहीन संविधान पर राष्ट्र की गतिविधियां चल रही हैं। तदनुसार शिक्षा पद्धति से केवल अविद्या के विद्वान पैदा हो रहे हैं।परिणाम स्वरूप पंचभूत प्रदूषित हो गए और सारा सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार व अक्षमता से ग्रस्त हो गया है।धर्मनिरपेक्ष भारत का किंकर्तव्यविमूढ़ नागरिक दैहिक, दैविक,भौतिक तापों से पीड़ित है और आनंद की प्यास बुझाने के लिए मांस-मदिरा भक्षण, समलैंगिकता व वृद्धाश्रम की मृगतृष्णा में भटक रहा है--वह भी विकास आधुनिकता तथा उदारता के नाम पर। सत्ता की शक्ति पर कभी भी नरपिशाच-संगठन का कब्जा हो सकता है।

राष्ट्रभक्तों का धर्म है - वर्तमान शिक्षा पद्धति में ही ईशावास्योपनिषद के अनुसार "विद्या" का समावेश हो तथा संविधान श्री गीता जी में बताए गए जीवन-दर्शन के अनुकूल हो। 


2019 का शिव संकल्प 



यह वर्ष हिंदुओं के लिए विशेष सावधान रहने का है। राजनीतिक मोर्चे पर चूके तो धर्म-कर्म सब मिट्टी में मिल जाएगा।अच्छा हो नीचे दिया संकल्प दोहरा लें और स्वधर्म पालन करते हुए संगठित रहें ।

वर्ष 2014 में सत्ता परिवर्तन भगवान और संतों की कृपा से हुआ।किंतु भाजपा ने उसमें अपना कौशल देखा और उसे अपनी झोली में डाल कर, आदतन संतो और हिंदुत्व को भूल गए। परिणाम में हिंदू-- संस्कार, सभ्यता और संस्कृति में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई।इसके लिए एक सीमा तक कण -कण में व्याप्त भ्रष्टाचार व सरकारी तंत्र की अक्षमता का भी योग है।

अगले चुनाव की सफलता के लिए भाजपा को सरकारी शण्ड और अमर्क जैसे पुरोहितों को भूलकर भगवान अधिकृत संतों से मार्गदर्शन लेना कर्तव्य है।समय रहते भूल सुधार आवश्यक है। 


राष्ट्र -चिंत्तन 


लगभग 65 वर्षों तक राष्ट्र "खुद खा और हमें खाने दे " के सिद्धांत पर चलता रहा । राष्ट्र के सभी कामकाज तदानुसार व्यवस्थित हैं । अब देश विपरीत दिशा में अर्थात "न खाएंगे न खाने देंगे "की ओर चल पड़ा है ।


पुरानी व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं। नए वर्ष में कठिनाइयां अपेक्षित हैं। उनके समाधान के लिए भगवान हम सबको बल - बुद्धि दें। सब सुखी रहें।


घोटालेबाजों तथा टैक्स चोरों से जो रकम वसूल कर राष्ट्रीय खजाने में आई है ,उसमें आप के शेयर के 15 लाख जमा हो चुके हैं।राष्ट्रीय खजाने को अपना ही खजाना मानो।



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