अपने(आत्मा) को जानने का उपाय ➡ब्रह्मनिष्ठ से सुनें ➡ मनन करें ➡अंतर्मुखी बुद्धि दृष्टि से निश्चय करें। भगवान की सत्ता व नामजप में अडिग विश्वास तथा पाने की आकुलता होनी चाहिए। वे स्वयं प्रकट हो जाते हैं ,ढूंढना नहीं पड़ता।
श्री गर्गाचार्य जी के अनुसार ,कथा आदि में अनुराग होना ही भक्ति है ।
श्री भगवान की दिव्य लीला, महिमा उनके गुण और नामों के कीर्तन तथा श्रवण में मन लगाना नि:संदेह भक्ति का प्रधान लक्षण है।
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