राष्ट्रधर्म
2019 का सेकुलर भारत
श्रीमद् भगवत गीता- जीव, जगत ,जगदीश्वर में पूर्ण सामंजस्य रखते हुए, मनुष्य को परम लक्ष्य प्राप्त कराने वाला, देश-काल-सीमा रहित शाश्वत ईश्वरी संविधान है।
श्री गीता जी की उपेक्षा कर, मैकाले की कुटिल नीतियों को कार्यान्वित करने वाले, चार्वाक-सिद्धांत देहात्मभाव आधारित,दिशाहीन संविधान पर,राष्ट्र की गतिविधियां चल रही हैं। तदनुसार शिक्षा पद्धति से केवल अविद्या के विद्वान पैदा हो रहे हैं।परिणाम स्वरूप पंचभूत प्रदूषित हो गए, और सारा सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार व अक्षमता से ग्रस्त हो गया है।धर्मनिरपेक्ष भारत का किंकर्तव्यविमूढ़ नागरिक दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से पीड़ित है, और आनंद की प्यास बुझाने के लिए मांस-मदिरा भक्षण, समलैंगिकता व वृद्धाश्रम की मृगतृष्णा में भटक रहा है--वह भी विकास आधुनिकता तथा उदारता के नाम पर। सत्ता की शक्ति पर कभी भी नरपिशाच-संगठन का कब्जा हो सकता है।
राष्ट्रभक्तों का धर्म है- वर्तमान शिक्षा पद्धति में ही ईशावास्योपनिषद के अनुसार "विद्या" का समावेश हो तथा संविधान श्री गीता जी में बताए गए जीवन-दर्शन के अनुकूल हो। पिशाच धर्म मानने वालों से,बचने के कुछ उपाय हो रहे हैं,लेकिन वे पर्याप्त नहीं है।
2020 का शिव संकल्प
हिंदुओं को विशेष रूप से संगठित रहने की आवश्यकता है। आसुरी प्रवृत्ति वाले राष्ट्र के पुनः विभाजन करने की योजना रखते हैं। चूके तो धर्म-कर्म सब मिट्टी में मिल जाएगा ।अच्छा हो नीचे दिया संकल्प दोहराने और स्वधर्म पालन करते हुए संगठित रहें।
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