सत्ता की कुर्सी बड़ी लुभावनी होती है ।
कुर्सी शब्द का अर्थ है - (कु + रसिका)अर्थात गंदा रस भोगने वाली अर्थात वेश्या।
जो इसके आलिंगन में फंसा वह सेकुलर धर्म और अन्याय के नोट लुटाने लगता है।
वोटबैंक जुटाने और न्याय का गला घोटने के हथकंडों को राष्ट्रप्रेम व उदारता के आवरण से ढकता है।
सनातन धर्म की रक्षा से ही राष्ट्र बचेगा।
सत्ता की उत्तल- पुथल को धर्म संभाल लेता है, जैसा चाणक्य प्रेरित चंद्रगुप्त तथा स्वामी रामदास प्रेरित शिवाजी ने किया।
लेकिन सनातन धर्म मिटेगा तो हिंदू जाति मिट जाएगी।
जनता के लोक परलोक दोनों बिगड़ जाएंगे।
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